अमीर मीनाई शायरी – पूछा न जाएगा जो वतन पूछा न जाएगा जो वतन से निकल गया बे-कार है जो दाँत दहन से निकल गया – अमीर मीनाई Related Posts:अमीर मीनाई शायरी - आहों से सोज़-ए-इश्क़ मिटाया नमुनव्वर राना शायरी - ऐ ख़ाक-ए-वतन तुझ से मैंमाधव राम जौहर शायरी - जब कभी मैंने ये पूछाअमीर मीनाई शायरी - 'अमीर' लाख इधर से उधरअमीर मीनाई शायरी - अभी कमसिन हैं ज़िदें भीअमीर मीनाई शायरी - ख़ंज़र चले किसी पे तोअमीर मीनाई शायरी - ख़ंजर चले किसी पे तड़पतेअमीर मीनाई शायरी - वोह दुश्मनी से देखते हैंअमीर मीनाई शायरी - गाहे गाहे की मुलाक़ात हीअमीर मीनाई शायरी - वो बेदर्दी से सर काटे अमीर मीनाई शायरी