अमीर मीनाई शायरी – वाए क़िस्मत वो भी कहते वाए क़िस्मत वो भी कहते हैं बुरा हम बुरे सब से हुए जिन के लिए – अमीर मीनाई Related Posts:मीर तक़ी मीर शायरी - हम हुए तुम हुए किअल्लामा इक़बाल शायरी - न तू ज़मीं के लिएमिर्ज़ा ग़ालिब शायरी - 'ग़ालिब' बुरा न मान जोअमीर मीनाई शायरी - हुए नामवर बेनिशां कैसे कैसेअमीर मीनाई शायरी - सब हसीं हैं ज़ाहिदों कोफिराक गोरखपुरी शायरी - मुंह से हम अपने बुरामिर्ज़ा ग़ालिब शायरी - की वफ़ा हम से तोमिर्ज़ा ग़ालिब शायरी - की वफ़ा हम से तोअमीर मीनाई शायरी - 'अमीर' लाख इधर से उधरअमीर मीनाई शायरी - अभी कमसिन हैं ज़िदें भी अमीर मीनाई शायरी