अहमद फ़राज़ शायरी – आशिकी में मीर जैसे ख्वाब Raj June 16, 2022 अहमद फ़राज़ शायरी आशिकी में मीर जैसे ख्वाब न देखा करो । बावले हो जाओगे महताब न देखा करो ।। – अहमद फ़राज़ जिगर मुरादाबादी शायरी – मेरी निगाह-ए-शौक़ भी कुछ कम जौन एलिया शायरी – कोई मुझ तक पहुँच नहीं मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – थी ख़बर गर्म कि ‘ग़ालिब’ फैज अहमद फैज शायरी – राज ए उल्फ़त छिपा कर मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – बहाने और भी होते जो