क़ाबिल अजमेरी शायरी – बहुत काम लेने हैं दर्द-ए-जिगर Raj February 14, 2017 क़ाबिल अजमेरी शायरी बहुत काम लेने हैं दर्द-ए-जिगर से कहीं ज़िंदगी को क़रार आ न जाए – क़ाबिल अजमेरी दाग देहलवी शायरी – हज़ारों हसरतें वो हैं कि फिराक गोरखपुरी शायरी – मजहब कोई लौटा ले ज़फ़र इक़बाल शायरी – मेरे अंदर वो मेरे सिवा मोमिन ख़ाँ मोमिन शायरी – तुम मिरे पास होते हो कैफ़ी आज़मी शायरी – पेड़ के काटने वालों को