जिगर मुरादाबादी शायरी – जब मिली आँख होश खो जब मिली आँख होश खो बैठे कितने हाज़िर-जवाब हैं हम लोग – जिगर मुरादाबादी Related Posts:नक़्श लायलपुरी शायरी - होश में लाके मेरे होशअहमद फ़राज़ शायरी - खामोश बैठे है तो लोगमिर्ज़ा ग़ालिब शायरी - कितने शीरीं हैं तेरे लबअहमद फ़राज़ शायरी - सुना है लोग उसे आँखबशीर बद्र शायरी - महलों में हम ने कितनेजिगर मुरादाबादी शायरी - वही है ज़िंदगी लेकिन 'जिगर'शाद अज़ीमाबादी शायरी - जवाब-ए-ख़त का न क़ासिद सेमजरूह सुल्तानपुरी शायरी - दुनिया करे सवाल तो हमशाद अज़ीमाबादी शायरी - कहते हैं अहल-ए-होश जब अफ़्सानाजिगर मुरादाबादी शायरी - सभी अंदाज़-ए-हुस्न प्यारे हैं जिगर मुरादाबादी शायरी