नक़्श लायलपुरी शायरी – किसी हमदम का सरे शाम Raj February 15, 2017 नक़्श लायलपुरी शायरी किसी हमदम का सरे शाम ख़याल आ जाना।। नींद जलती हुई आँखों की उड़ा देता है।। – नक़्श लायलपुरी बशीर बद्र शायरी – ये चिराग़ बेनज़र है ये दाग देहलवी शायरी – हज़ारों हसरतें वो हैं कि परवीन शाकिर शायरी – हवा चली तो नयी बारिशें इरफ़ान सिद्दीक़ी शायरी – रूप की धूप कहाँ जाती अहमद फ़राज़ शायरी – तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास