परवीन शाकिर शायरी – उस ने जलती हुई पेशानी उस ने जलती हुई पेशानी पे जब हाथ रखा रूह तक आ गई तासीर मसीहाई की – परवीन शाकिर Related Posts:परवीन शाकिर शायरी - उस ने जलती हुई पेशानीमाधव राम जौहर शायरी - आहें भी कीं दुआएँ भीनक़्श लायलपुरी शायरी - तुझको सोचा तो खो गईंहफ़ीज़ जालंधरी शायरी - रंग बदला यार ने वोपरवीन शाकिर शायरी - बारिश हुई तो फूलों केमाधव राम जौहर शायरी - आह -ए-पुर-सोज़ की तासीर बुरीक़तील शिफ़ाई शायरी - शम्अ जिस आग में जलतीपरवीन शाकिर शायरी - गवाही कैसे टूटती मुआमला ख़ुदानक़्श लायलपुरी शायरी - किसी हमदम का सरे शामहसरत मोहानी शायरी - कहते हैं अहल-ए-जहाँ दर्द-ए-मोहब्बत जिसको परवीन शाकिर शायरी