फिराक गोरखपुरी शायरी – मजहब कोई लौटा ले Raj July 14, 2017 फिराक गोरखपुरी शायरी मजहब कोई लौटा ले, और उसकी जगह दे दे, तहजीब करीने की, इंसान सलीके के ! – फिराक गोरखपुरी बशीर बद्र शायरी – तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से शाद अज़ीमाबादी शायरी – तन्हा है चराग़ दूर परवाने बशीर बद्र शायरी – हम-से मजबूर का ग़ुस्सा भी परवीन शाकिर शायरी – थक गया है दिल वहशी राहत इंदौरी शायरी – उसकी महफ़िल में वही सच