बशीर बद्र शायरी – इसी लिए तो यहाँ अब इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं – बशीर बद्र Related Posts:बशीर बद्र शायरी - मैं तमाम दिन का थकाजिगर मुरादाबादी शायरी - आदमी आदमी से मिलता हैनिदा फ़ाज़ली शायरी - हर तरफ हर जगह बेशुमारबशीर बद्र शायरी - मैं तमाम तारे उठा-उठा करमुनव्वर राना शायरी - तमाम जिस्म को आँखें बनाबशीर बद्र शायरी - इसी शहर में कई सालनिदा फ़ाज़ली शायरी - हर आदमी में होते हैंबशीर बद्र शायरी - यहाँ लिबास की क़ीमत हैवसीम बरेलवी शायरी - तुम्हारा साथ भी छुटातुम अजनबीबशीर बद्र शायरी - लोग टूट जाते हैं एक बशीर बद्र शायरी