मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – इश्क़ मुझ को नहीं वहशत इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही मेरी वहशत तिरी शोहरत ही सही – मिर्ज़ा ग़ालिब Related Posts:साहिर लुधियानवी शायरी - जंग तो ख़ुद हीं एकमिर्ज़ा ग़ालिब शायरी - इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा करक़तील शिफ़ाई शायरी - इश्क़ बुरी शै सही परमिर्ज़ा ग़ालिब शायरी - शहादत थी मेरी क़िस्मत मेंसाहिर लुधियानवी शायरी - ये हुस्न तेरा ये इश्क़मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी - कब वो सुनता है कहानीमिर्ज़ा ग़ालिब शायरी - मेरी क़िस्मत में ग़म गरमिर्ज़ा ग़ालिब शायरी - इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्तमिर्ज़ा ग़ालिब शायरी - हाँ वो नहीं ख़ुदा-परस्त जाओमिर्ज़ा ग़ालिब शायरी - दे मुझ को शिकायत की मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी