मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – क्यूँ गर्दिश-ए-मुदाम से घबरा न Raj May 5, 2018 मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी क्यूँ गर्दिश-ए-मुदाम से घबरा न जाए दिल, इन्सान हूँ पियाला-ओ-साग़र नहीं हूँ मैं. – मिर्ज़ा ग़ालिब बशीर बद्र शायरी – कोई हाथ भी न मिलाएगा ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – फूल कर ले निबाह काँटों दुष्यंत कुमार शायरी – तू किसी रेल सी गुज़रती राहत इंदौरी शायरी – सरहदों पर बहुत तनाव है मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – अब सोचते हैं लाएँगे तुझ