मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – तुम जानो तुमको ग़ैर से Raj February 3, 2018 मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी तुम जानो तुमको ग़ैर से जो रस्म-ओ-राह हो, मुझको भी पूछते रहो तो क्या गुनाह हो..! – मिर्ज़ा ग़ालिब ज़फ़र इक़बाल शायरी – रात फिर आएगी फिर ज़ेहन मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – पिला दे ओक से साक़ी नासिर काज़मी शायरी – दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल अमीर मीनाई शायरी – आख़िरी वक़्त भी पूरा न फिराक गोरखपुरी शायरी – कई बिजलियाँ बेगिरे गिर पड़ी