मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – मेरी क़िस्मत में ग़म गर Raj May 5, 2018 मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी मेरी क़िस्मत में ग़म गर इतना था दिल भी या-रब कई दिए होते – मिर्ज़ा ग़ालिब जिगर मुरादाबादी शायरी – आज न जाने राज़ ये मुनव्वर राना शायरी – दहलीज़ पे रख दी हैं अहमद फ़राज़ शायरी – सुना है लोग उसे आँख ज़फ़र इक़बाल शायरी – ये क्या कम है कि हफ़ीज़ जालंधरी शायरी – जब कोई ताज़ा मुसीबत टूटती