मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर Raj February 3, 2018 मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले – मिर्ज़ा ग़ालिब जिगर मुरादाबादी शायरी – आ कि तुझ बिन इस वसीम बरेलवी शायरी – आते-आते मेरा नाम सा रह परवीन शाकिर शायरी – ग़मे फ़िराक़ के किस्से निशात इक़बाल अज़ीम शायरी – हम को दुनिया से मोहब्बत राहत इंदौरी शायरी – मुन्तज़िर हूँ कि सितारों की