मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – हम को मालूम है जन्नत Raj May 5, 2018 मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है – मिर्ज़ा ग़ालिब ख़ुमार बाराबंकवी शायरी – दिल को तस्कीन-ए-यार ले डूबी साहिर लुधियानवी शायरी – ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ साग़र सिद्दीक़ी शायरी – मिरे दामन में शरारों के माधव राम जौहर शायरी – किस तरफ़ आए किधर भूल दाग देहलवी शायरी – वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे