मुनव्वर राना शायरी – ये ऐसा क़र्ज़ है जो Raj June 23, 2017 मुनव्वर राना शायरी ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है – मुनव्वर राना नक़्श लायलपुरी शायरी – मेरे दामन को बुसअत दी क़तील शिफ़ाई शायरी – यारो कहाँ तक और मुहब्बत क़तील शिफ़ाई शायरी – कैसा प्यारा मंज़र था जब वसीम बरेलवी शायरी – वो झूठ बोल रहा था नासिर काज़मी शायरी – ओ मेरे मसरूफ़ ख़ुदा अपनी दुनिया