राहत इंदौरी शायरी – एक अख़बार हूँ औकात ही Raj June 6, 2017 राहत इंदौरी शायरी एक अख़बार हूँ, औकात ही क्या मेरी मगर शहर में आग लगाने के लिए काफ़ी हूँ – राहत इंदौरी मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – उनके देखे से जो आ मुनव्वर राना शायरी – सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जाँ कहते वसीम बरेलवी शायरी – यह सच है की मुद्दत बशीर बद्र शायरी – न ग़मों का मेरे हिसाब परवीन शाकिर शायरी – लोग न जाने किन रातो