साग़र सिद्दीक़ी शायरी – अब कहाँ ऐसी तबीअत वाले अब कहाँ ऐसी तबीअत वाले चोट खा कर जो दुआ करते थे – साग़र सिद्दीक़ी Related Posts:इरफ़ान सिद्दीक़ी शायरी - सब को निशाना करते करतेक़तील शिफ़ाई शायरी - थक गया मैं करते-करते याददाग देहलवी शायरी - नज़र की चोट जिगर मेंसाग़र सिद्दीक़ी शायरी - जी में आता है उलटसाग़र सिद्दीक़ी शायरी - जिन से ज़िंदा हो यक़ीन-ओ-आगहीमिर्ज़ा ग़ालिब शायरी - इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्तसाग़र सिद्दीक़ी शायरी - हूरों की तलब और मयपरवीन शाकिर शायरी - हम तस्लीम करते हैंमोमिन ख़ाँ मोमिन शायरी - वो आये हैं पशेमाँ लाशसाग़र सिद्दीक़ी शायरी - कांटे तो खैर कांटे हैं साग़र सिद्दीक़ी शायरी