साग़र सिद्दीक़ी शायरी – कहती हैं तुझे मय-कदा-ए-वक़्त की Raj February 21, 2017 साग़र सिद्दीक़ी शायरी कहती हैं तुझे मय-कदा-ए-वक़्त की राहें बिगड़ी हुई तक़दीर को सुलझा के गुज़र जा – साग़र सिद्दीक़ी वसीम बरेलवी शायरी – मंज़िल समझ के बैठ गये फिराक गोरखपुरी शायरी – तुझको सौ सौ तरह से मुनव्वर राना शायरी – खाने की चीज़ें माँ ने वसीम बरेलवी शायरी – कौन सी बात कहाँ कैसे बशीर बद्र शायरी – मुझे इश्तिहार-सी लगती हैं ये