हसरत मोहानी शायरी – क़िस्सा-ए-ग़म न कहूँगा ‘हसरत’ Raj February 28, 2017 हसरत मोहानी शायरी क़िस्सा-ए-ग़म न कहूँगा ‘हसरत’ जौर की उन के शिकायत होगी! – हसरत मोहानी शहरयार शायरी – वो बेवफ़ा है हमेशा ही इरफ़ान सिद्दीक़ी शायरी – सब को निशाना करते करते नासिर काज़मी शायरी – मिटी मिटी सी उम्मीदें थके जौन एलिया शायरी – बिन तुम्हारे कभी नहीं आई मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – बे ख़ुदी बे सबब नहीं