ज़िन्दगी तूने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं
पांव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है.. – बशीर बद्र
Month: July 2017
बशीर बद्र शायरी – चाहे जितने चराग़ गुल कर
चाहे जितने चराग़ गुल कर दो
दिल अगर है तो रौशनी होगी – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – इसी शहर में कई साल
इसी शहर में कई साल से मेरे कुछ क़रीबी अज़ीज़ हैं
उन्हें मेरी कोई ख़बर नहीं, मुझे उनका कोई पता नहीं – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है
कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – घरों पे नाम थे नामों
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला… – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – महक रही है ज़मीं चाँदनी
महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – उन्ही दो घरों के करीब
उन्ही दो घरों के करीब ही
कहीं आग ले के हवा भी थी
न कभी तुम्हारी नज़र गयी
न कभी हमारी नज़र गयी – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – पहला-सा वो ज़ोर नहीं है
पहला-सा वो ज़ोर नहीं है मेरे दुख की सदाओं में
शायद पानी नहीं रहा है अब प्यासे दरियाओं में – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – ख़्वाब इन आंखों से अब
ख़्वाब इन आंखों से अब कोई चुरा कर ले जाए
क़ब्र के सूखे हुए फूल उठा कर ले जाए
मुंतज़िर फूल में ख़ुशबू की तरह हूँ कब से – बशीर बद्र