ज़िन्दगी तू मुझे पहचान न पाई लेकिन
लोग कहते हैं कि मैं तेरा नुमाइंदा हूँ – बशीर बद्र
Month: November 2017
बशीर बद्र शायरी – मैं तमाम तारे उठा-उठा कर
मैं तमाम तारे उठा-उठा कर ग़रीबों में बाँट दूँ।
कभी एक रात वो आसमाँ का निज़ाम दे मेरे हाथ में, – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – दुआ करो कि ये पौदा
दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे
उदासियों में भी चेहरा खिला खिला ही लगे – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – ख़ुदा की इतनी बड़ी क़ायनात
ख़ुदा की इतनी बड़ी क़ायनात में मैंने
बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही न मिला – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – हर धड़कते पत्थर को लोग
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – उम्र भर जिनकी वफ़ाओं पे
उम्र भर जिनकी वफ़ाओं पे भरोसा कीजे
वक़्त पड़ने पे वही लोग बदल जाते हैं – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – पलके भी चमक उठती हैं
पलके भी चमक उठती हैं सोते में हमारी
आंखों को अभी ख़्वाब छुपाने नहीं आते – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – गुलाबो की तरह दिल अपना
गुलाबो की तरह दिल अपना शबनम में भिगोते है,
मोहब्बत करने वाले ख़ूबसूरत लोग होते है – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – गुफ़्तुगू उन से रोज़ होती
गुफ़्तुगू उन से रोज़ होती है
मुद्दतों सामना नहीं होता – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – जिन पर लिखी हुई थी
जिन पर लिखी हुई थी मोहब्बत की दास्ताँ
वो चाक चाक पुरज़े हवा में बिखर गए – बशीर बद्र