उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते – बशीर बद्र
Month: December 2017
बशीर बद्र शायरी – नए दौर के नए ख़्वाब
नए दौर के नए ख़्वाब हैं नए मौसमों के गुलाब हैं
ये मोहब्बतों के चराग़ हैं इन्हें नफ़रतों की हवा न दे – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – लोग टूट जाते हैं एक
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – अजीब शख़्स है नाराज़ होके
अजीब शख़्स है नाराज़ होके हंसता है
मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – खुद को इतना भी मत
खुद को इतना भी मत बचाया कर,
बारिशें हो तो भीग जाया कर.
चाँद लाकर कोई नहीं देगा,
अपने चेहरे से जगमगाया कर. – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – काम ले कुछ हसीन होंठो
काम ले कुछ हसीन होंठो से,
बातों-बातों मे मुस्कुराया कर.
धूप मायूस लौट जाती है,
छत पे किसी बहाने आया कर. – बशीर बद्र
बशीर बद्र शायरी – परखना मत परखने में कोई
परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता
किसी भी आइने में देर तक चेहरा नहीं रहता – बशीर बद्र
मीर तक़ी मीर शायरी – देख तो दिल कि जाँ
देख तो दिल कि जाँ से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ से उठता है – मीर तक़ी मीर
मीर तक़ी मीर शायरी – जिस को तुम आसमान कहते
जिस को तुम आसमान कहते हो
सो दिलों का ग़ुबार है अपना – मीर तक़ी मीर
मीर तक़ी मीर शायरी – रोते फिरते हैं सारी सारी
रोते फिरते हैं सारी सारी रात
अब यही रोज़गार है अपना – मीर तक़ी मीर