अब तो जाते हैं बुत-कदे से ‘मीर’
फिर मिलेंगे अगर ख़ुदा लाया – मीर तक़ी मीर
Month: January 2018
मीर तक़ी मीर शायरी – खिलना कम कम कली ने
खिलना कम कम कली ने सीखा है
उस की आँखों की नीम-ख़्वाबी से! – मीर तक़ी मीर
मीर तक़ी मीर शायरी – हम हुए तुम हुए कि
हम हुए तुम हुए कि ‘मीर’ हुए
उस की ज़ुल्फ़ों के सब असीर हुए! – मीर तक़ी मीर
मीर तक़ी मीर शायरी – मेरे रोने की हक़ीक़त जिस
मेरे रोने की हक़ीक़त जिस में थी
एक मुद्दत तक वो काग़ज़ नम रहा – मीर तक़ी मीर
मीर तक़ी मीर शायरी – याद उसकी इतनी ख़ूब नहीं
याद उसकी इतनी ख़ूब नहीं ‘मीर’ बाज़ आ
नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा – मीर तक़ी मीर
मीर तक़ी मीर शायरी – नाज़ुकी उस के लब की
नाज़ुकी उस के लब की क्या कहिए
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है – मीर तक़ी मीर
मीर तक़ी मीर शायरी – ‘मीर’ उन नीम-बाज़ आँखों में
‘मीर’ उन नीम-बाज़ आँखों में
सारी मस्ती शराब की सी है – मीर तक़ी मीर
मीर तक़ी मीर शायरी – कोई तुम सा भी काश
कोई तुम सा भी काश तुम को मिले
मुद्दआ हम को इंतिक़ाम से है – मीर तक़ी मीर
मीर तक़ी मीर शायरी – राह-ए-दौर-ए-इश्क़ में रोता है क्या
राह-ए-दौर-ए-इश्क़ में रोता है क्या
आगे-आगे देख अभी होता है क्या – मीर तक़ी मीर
मीर तक़ी मीर शायरी – कहा सुनते तो काहे को
कहा सुनते तो काहे को किसी से दिल लगाते तुम,
न जाते उस तरफ तो हाथ से अपने न जाते तुम. – मीर तक़ी मीर