जहाँ तेरा नक़्श-ए-क़दम देखते हैं,
ख़याबाँ ख़याबाँ इरम देखते हैं !! – मिर्ज़ा ग़ालिब
Month: June 2019
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – पिला दे ओक से साक़ी
पिला दे ओक से साक़ी जो हम से नफ़रत है
पियाला गर नहीं देता न दे शराब तो दे – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – की वफ़ा हम से तो
की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं
होती आई है कि अच्छों को बुरा कहते हैं – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – ‘ग़ालिब’ बुरा न मान जो
‘ग़ालिब’ बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे,
ऐसा भी कोई है के सब अच्छा कहें जिसे !! – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – ख़त लिखेंगे गरचे मतलब कुछ
ख़त लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो,
हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के! – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – तेरे वादे पे जिए हम
तेरे वादे पे जिए हम तो ये जान झूठ जानां..
कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ऐतबार होता!! – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – हमने माना कि तग़ाफुल न
हमने माना कि तग़ाफुल न करोगे लेकिन
ख़ाक़ हो जायेंगे हम तुम को ख़बर होते तक – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – कहूँ किस से मैं कि
कहूँ किस से मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता! – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – आह को चाहिए इक उम्र
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – इश्क़ मुझ को नहीं वहशत
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही
मेरी वहशत तिरी शोहरत ही सही – मिर्ज़ा ग़ालिब