जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तुजू क्या है – मिर्ज़ा ग़ालिब
Month: November 2019
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – बे ख़ुदी बे सबब नहीं
बे ख़ुदी बे सबब नहीं ग़ालिब
कुछ तो है जिसकी पर्दा दारी है – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त
इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बे-दवा पाया – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर
इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – इस सादगी पे कौन न
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – करने गए थे उस से
करने गए थे उस से तग़ाफ़ुल का हम गिला
की एक ही निगाह कि बस ख़ाक हो गए – मिर्ज़ा ग़ालिब