गुफ़्तगू अच्छी लगी ज़ोक ए नज़र अच्छा लगा,,
मुद्दतों के बाद कोई हम सफ़र अच्छा लगा.. – अहमद फ़राज़
Month: January 2020
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – मौत का एक दिन मुअय्यन
मौत का एक दिन मुअय्यन है
नींद क्यूँ रात भर नहीं आती – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – मैं और बज़्म-ए-मय से यूँ
मैं और बज़्म-ए-मय से यूँ तिश्ना-काम आऊँ
गर मैं ने की थी तौबा साक़ी को क्या हुआ था – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – मैं ने चाहा था कि
मैं ने चाहा था कि अंदोह-ए-वफ़ा से छूटूँ
वो सितमगर मिरे मरने पे भी राज़ी न हुआ – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – न था कुछ तो खुदा
न था कुछ तो, खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता…। – मिर्ज़ा ग़ालिब