हाँ वो नहीं ख़ुदा-परस्त जाओ वो बेवफ़ा सही
जिस को हो दीन ओ दिल अज़ीज़ उस की गली में जाए क्यूँ – मिर्ज़ा ग़ालिब
Category: प्रसिद्द शेरो शायरी
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – और बाज़ार से ले आए
और बाज़ार से ले आए अगर टूट गया
साग़र-ए-जम से मिरा जाम-ए-सिफ़ाल अच्छा है – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – शहादत थी मेरी क़िस्मत में
शहादत थी मेरी क़िस्मत में जो दी थी ये ख़ू मुझ को
जहाँ तलवार को देखा झुका देता था गर्दन को – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – न लुटता दिन को तो
न लुटता दिन को तो कब रात को यूँ बेख़बर सोता
रहा खटका न चोरी का दुआ देता हूँ रहज़न को – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – की वफ़ा हम से तो
की वफ़ा हम से तो ग़ैर इस को जफ़ा कहते हैं
होती आई है कि अच्छों को बुरा कहते हैं – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – रोक लो गर
रोक लो गर ग़लत चले कोई,,
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई! – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – मैं भी मुँह में ज़बान
मैं भी मुँह में ज़बान रखता हूँ
काश पूछो कि मुद्दआ क्या है – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – उन के देखे से जो
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – बस-कि दुश्वार है हर काम
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना,
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना…!! – मिर्ज़ा ग़ालिब
मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी – सादिक़ हूँ अपने कौल में
सादिक़ हूँ अपने कौल में ग़ालिब ख़ुदागवाह,
कहता हूँ सच, कि झूठ की आदत नहीं मुझे – मिर्ज़ा ग़ालिब