कोई ये कैसे बताए कि वो तन्हा क्यूँ है
वो जो अपना था वही और किसी का क्यूँ है – कैफ़ी आज़मी
Tag: कैफ़ी आज़मी प्रसिद्द शायरी
कैफ़ी आज़मी शायरी – बस इक झिझक है यही
बस इक झिझक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने मे – कैफ़ी आज़मी
कैफ़ी आज़मी शायरी – जायेंगे कहाँ सूझता नहीं
जायेंगे कहाँ सूझता नहीं
चल पड़े मगर रास्ता नहीं
क्या तलाश है, कुछ पता नहीं
बुन रहे क्यूँ ख़्वाब दम-ब-दम – कैफ़ी आज़मी
कैफ़ी आज़मी शायरी – जब भी चूम लेता हूँ
जब भी चूम लेता हूँ उन हसीन आँखों को..
सौ चिराग़ अँधेरे में झिलमिलाने लगते है.! – कैफ़ी आज़मी
कैफ़ी आज़मी शायरी – सुना करो मेरी जाँ इन
सुना करो मेरी जाँ इन से उन से अफ़्साने,
सब अजनबी हैं यहाँ कौन किस को पहचाने.. – कैफ़ी आज़मी
कैफ़ी आज़मी शायरी – मुद्दत के बाद उस ने
मुद्दत के बाद उस ने जो की लुत्फ़ की निगाह ,
जी ख़ुश तो हो गया मगर आँसू निकल पड़े – कैफ़ी आज़मी
कैफ़ी आज़मी शायरी – बहार आए तो मेरा सलाम
बहार आए तो मेरा सलाम कह देना
मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने – कैफ़ी आज़मी
कैफ़ी आज़मी शायरी – पेड़ के काटने वालों को
पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था,
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा। – कैफ़ी आज़मी
कैफ़ी आज़मी शायरी – रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर,
रेखाओं से मात खा रहे हो ।
क्या गम है जिसको छुपा रहे हो,
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो । – कैफ़ी आज़मी
कैफ़ी आज़मी शायरी – चंद रेखाओं में सीमाओं में
चंद रेखाओं में सीमाओं में
ज़िंदगी क़ैद है सीता की तरह – कैफ़ी आज़मी