दो घड़ी उस से रहो दूर तो यूँ लगता है
जिस तरह साया-ए-दीवार से दीवार जुदा – अहमद फ़राज़
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अहमद फ़राज़ शायरी – जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – आशिकी में मीर जैसे ख्वाब
आशिकी में मीर जैसे ख्वाब न देखा करो ।
बावले हो जाओगे महताब न देखा करो ।। – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – अब ज़मीं पर कोई गौतम
अब ज़मीं पर कोई गौतम न मोहम्मद न मसीह,
आसमानों से नए लोग उतारे जाएँ। – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – मुझ से बिछड़ के तू
मुझ से बिछड़ के तू भी तो रोएगा उम्र भर
ये सोच ले कि मैं भी तिरी ख़्वाहिशों में हूँ – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – वह लाख दुश्मन ए जां
वह लाख दुश्मन ए जां हो मगर ख़ुदा न करे
के उसका हाल भी हो हू बा हू हमारी तरहा। – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – जो भी बिछऱे हैं कब
जो भी बिछऱे हैं कब मिले हैं ‘फ़राज़’
फिर भी तू इंतज़ार कर शायद.. – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – लो फिर तिरे #लबों पे
लो फिर तिरे #लबों पे उसी बेवफ़ा का ज़िक्र,
अहमद ‘फ़राज़’ तुझसे कहा न बहुत हुआ ..! – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – आज दिल खोल के रोये
आज दिल खोल के रोये हैं तो यूँ खुश हैं फ़राज़
चंद लम्हों की ये राहत भी बड़ी हो जैसे – अहमद फ़राज़
अहमद फ़राज़ शायरी – सो देख कर तिरे रुख़्सार
सो देख कर तिरे रुख़्सार ओ लब यक़ीं आया
कि फूल खिलते हैं गुलज़ार के अलावा भी – अहमद फ़राज़